लघु कथा – दरूहा

सुकलू ह तीस बछर के रहिस हे अउ ओकर टुरा मंगलू ह आठ बछर के रहिस हे,सुकलू ह आठ-पन्दरा दिन मं दारू पीयय,मंगलू करन गिलास अउ पानी ल मंगाववय त मंगलू ह झल्ला के काहय कि ददा मोला बिक्कट घुस्सा आथे तोर बर,तय दारू काबर पीथस गो,छोड़ देना।सुकलू ह काहय,दारू पीये ले थकासी ह भागथे रे,तेकर सेती पीथंव,मय ह दरूहा थोेड़े हरंव,कभू-कभू सुर ह लमथे त पी लेथंव,सियान सरीक मना करत हस मोला,जा भाग तय हर भंउरा-बाटी ल खेले बर,मोला पीयन धक।

दिन ह बिसरत गिस अउ मंगलू ह तेरह बछर के होगे रहिस,ददा ल देख-देख के मंगलू ह संगवारी-संगवारी पइसा ल बरार के दारू पीये बर सीखगे अउ ये दारू के लत ह अइसे लगिस कि दिनों-दिन धान कस बाढ़ी बाढ़त गिस,अब मंगलू ह बाइस बछर के होगे अउ दरूहा नम्बर वन तको काहय बर धर लिस काबर कि गांव मं ओकर असन दारू कोनो नइ पीयत रहिस,कोन डबरा,कोन खोचका,काकर दुवारी,काकर बियारा मं पड़े सुते राहय तेकर कोनो पता नइ राहय,सुकलू ह मंगलू ल धर-धर के घर लावय अउ काहय,अतेक काबर पीथस बेटा,होश घलो नइ राहय।मंगलू ह काहय कि तय होथस कोन मोला झन पीये कर कहिके कहने वाला,महूं काहत रहेंव त तय मानत रहेस का।सुकलू करन कोनो जवाब नइ राहय।दारू पीयई के मारे मंगलू के शरीर ह फोकला परगे अउ एक दिन अइसे अइच कि भरे जवानी मं ओकर परान ह निकलगे।

आज सुकलू ह मुड़ ल धर के रोवत हे अउ सोचत हे कि मय ह दारू नइ पीतेंव त मोर बेटा ह दरूहा नइ होतिच,दारू के रस्ता ल बता के ओला मौत के कुआं मं ढकेल देंव,अब पछताय ले का होही,जब तन के पंछी ह उड़गे।

सदानंदनी वर्मा
ग्राम-रिंगनी {सिमगा}
जिला-बलौदाबाजार{छ.ग.}
मोबाइल-7898808253

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